सोमवार, 13 फ़रवरी 2012

काश तुम मेरी वैलेंटाईन होती...!

तुम्हे पता है इन दिनों मैं कितना व्यस्त हूँ ..बावजूद इसके अपने प्रेम का इज़हार करने का कुछ समय चुरा ही लिया  -धरती के भूगोल के इस हिस्से में प्रेम के  नए महापर्व के पूर्व दिवस पर....यह पत्र  मैं गोपन भेज सकता था मगर न जाने क्यों यह मन हो आया कि इसे सार्वजनिक दृश्य पटल पर रखूँ ...प्यार कोई गुनाह नहीं फिर डरना भी क्यों ....कभी कभी ऐसा भी होता है जो बात अकेले में कहने में संकोच  होता है उसे सार्वजनिक करने में उतनी मशक्कत नहीं होती .... यह सहानुभूति और जन सहमतियाँ बटोरने का कारगर नुस्खा भी रहा है ...टंकी रोहण का धर्मेन्द्र का शोले दृश्य भला किसी को भूल सकता है .....

अब लोगों को शायद  गुमान हो या न भी हो मगर यह पत्र केवल तुम्हारे लिए है ......तुम कौन? कभी मैंने इसका उत्तर दिया था -तुम जो मात्र शरीर ही नहीं एक शाश्वत कामना हो .....अब उम्र के इस पड़ाव पर सहसा ही यह अहसास हो चला है कि प्यार केवल और केवल सूफियाना ही होता है ....और जो सूफियाना हो वही दरअसल सच्चा प्यार है ....देह की हिस्सेदारी तो महज कुदरत की चालबाजी है जो केवल अपनी लीला का विस्तार चाहती है और कितनों को ही बसंत के फसंत में फंसाती है -बड़ी ठगिनी है रे यह कुदरत......मगर इस देह फांस के बाद भी जो बच रहता है वही तो है न प्यार!  

मैंने सोचा कल पता नहीं हो या न हो यह इज़हार आज ही कर संतुष्ट हो लूं ....वैसे भी कल परसों यू पी के इलेक्शन में मरने की भी फुरसत नहीं रहेगी ...लोग कयास लगायेगें कि यह बासंती सन्देश किसके लिए है मगर तुम्हे तो किंचित भी डाउट नहीं होना चाहिए ...जानेमन यह तुम्हारे और केवल तुम्हारे लिए है ....मुझे उन लोगों की अस्मिता और स्टीरियो टाईप सोच पर तरस आता है जो प्यार के मनोभावों को महज इसलिए जगजाहिर नहीं करते कि आखिर लोग क्या कहेगें ..दुनिया क्या सोचेगी ..इमेज का क्या होगा ? उनसे केवल यही सवाल है कि प्यार में भला कौन सी भद्दगी है या गन्दगी छुपी है? और वैलेंटाईन दिवस से बेहतर कौन सा दिन हो सकता है ऐसी अभिव्यक्ति का -वैसे भी वैलेंटाईन दिवस और बसंत का आह्वान साथ होने में महज कोई संयोग नहीं दीखता ....हमारे कुछ साथी न जाने क्यों इस अवसर पर आक्रामक हो उठते हैं ..प्यार मनुहार पर आक्रोशित हो उठते हैं ....मुझे नहीं लगता कि मानवीयता और मानवता का इतना उत्कृष्ट प्रदर्शन कोई और होता हो ....कहीं  यह  कुछ दिशाहीन मित्रों की कोई अपनी ही संकीर्णता तो नहीं जो अवसर पर मुखरित हो उठती हो ? कहीं  वे प्यार के चिर प्रवंचित तो नहीं  ..सहानुभूति है उनसे ....मुझे लगता है उन्हें भी रेड रोजेज चाहिए ..ढेर सारे रेड रोजेज... काश वे प्यार के अहसास से लबरेज हो पाते....

मैंने अपने मन की बात कह दी है ..मुझे तुम्हारे जवाब की अधीरता से प्रतीक्षा रहेगी .यहीं या मेरे मेल पर .....
तुम्हे और मेरे सभी मित्रों और दुश्मनों को भी वैलेंटाईन दिवस की अनेक अशेष शुभकामनाएं! 

35 टिप्‍पणियां:

  1. कह न पाना ही कई बार कहा-सुनी का कारण बन जाता है.

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  2. काश, उन तक पहुँच जाता ये हमारा खत,
    इस दुनिया में फिर बचती न कोई हसरत !


    प्रेम एक दिन का पर्व नहीं है महाराज !फगुनाहट में अकुलाहट ज़्यादा बढ़ जाती है !

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  3. महाराज,पहिला वाला खत तो हमरा ई गूगल बाबा ने दबा लिया है,मगर हम फिर से बरसेंगे !

    कोई तो खबर दे दो मेरे महबूब को,
    मैं उनको रोज़ अपने आईने में देखता हूँ !

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  4. ये "काश" भी बड़ा जालिम शब्द है। वैसे ऐडवांस में इज़हार करना ही सुरक्षित है, ऐन मौके पर न जाने कितने रक़ीब/संस्कृति-रक्षक लट्ठ ले के दौड़ाने बैठे हों क्या पता। नागरिक सुरक्षा की ज़िम्मेदारी का हाल आप जानते ही हैं :(

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  5. इस बार ऊतों ने अभी तक कोई गुल नहीं खिलाया :(
    सब ठीक-ठाक ही चलता लग रहा है

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  7. वाह!

    डार्क पंक्तियों को समर्पित...

    उसने भेजे थे हमे ढेर सारे रेड रोजेज
    पंखुड़ियाँ झड़ गईं बची काटों की सेज

    पौधे सजें गुलाब के दिल में तो बात बने
    कलम करूं बार बार उगें नए रेड रोजेज

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  8. तुम्हे पता है इन दिनों मैं कितना व्यस्त हूँ.
    -------------
    क्या हो गया?

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  9. यह अहसास हो चला है कि प्यार केवल और केवल सूफियाना ही होता है ....और जो सूफियाना हो वही दरअसल सच्चा प्यार है .

    आपका संदेश वेलंटाईन तक पहुंचे .... यही कामना है ...

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  10. बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति .... आभार

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  11. प्यार का इज़हार करने के लिए कोई उम्र --इस उम्र --नहीं होती । बहुत सुन्दर लगा यह अंदाज़ । आपका संदेश उन तक अवश्य पहुँच गया होगा ।
    लेकिन बाजु में सन्नी लिओन की तस्वीर देखकर झटका सा लगा । :)

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  12. " काश ! तुम मेरी वेलेंटाइन होती " की जगह " तुम मेरी वेलेंटाइन हो " ज्यादा प्रभावी होता..

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  13. इश्क सच में सूफियाना ही होता है. प्रेम का सबसे सुन्दर रूप प्लेटोनिक ही है क्योंकि ये खुद में ही संतुष्ट रहता है. किसी तरह के प्रतिदान की अपेक्षा नहीं रहती, स्वार्थ नहीं होता.
    और अंत में...काश ये पत्र मेरे लिए होता ;)

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  14. अब कम से कम कोई न कहने का आरोप तो नहीं लगा पायेगा।

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  15. @आराधन,
    आपके अलावा किसी और के लिए हो ही नहीं सकता -लगता है आपने मेरा सम्मान सहसा ही इतना बढ़ा दिया जिस योग्य शायद मैं नहीं हूँ -प्यार शायद इसी को कहते हैं!

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  16. डॉ0 साहब के कमेंट को पढ़ कर मेरा नाम जोकर का एक गीत याद आ गया..

    ऐ भाय!
    जरा देख के चलो
    आगे ही नहीं पीछे भी
    दायें ही नहीं बायें भी
    आजु ही नहीं बाजु भी
    ऊपर ही नहींSSSS
    नीचे भी।

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  17. प्रेम एक बड़ी शक्ति है परन्‍तु पवित्र प्रेम करने के लिए बहुत शक्ति चाहिए।

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  18. हार्दिक शुभकामनायें...... अब कह ही दिया है तो आगे भी सब अच्छा ही रहेगा ......

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  19. लेकिन देह की हिस्सेदारी को छोडकर सूफ़ी बनने की लालसा अक्सर लोगों को लूफ़ी बना देती है। लूफ़ी बोले तो, Lustful Failed Sufi :)

    थोडा कहा ज्यादा समझना :)

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  20. अब उम्र के इस पड़ाव पर सहसा ही यह अहसास हो चला है कि प्यार केवल और केवल सूफियाना ही होता है ....और जो सूफियाना हो वही दरअसल सच्चा प्यार है ....
    बहुत सुंदर पोस्ट है !

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  21. प्रणय पाती प्रेषक और प्राप्तकर्ता युगल को शुभकामनायें ! वे जैसा चाहें अपने प्रेम का विस्तार करें :)

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  22. जो सूफियाना हो वही दरअसल सच्चा प्यार है...
    ise kehte hain 'candid expression'..

    बहुत बढ़िया लिखा है आपने!

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  23. that was really a creative way to convey the message :)
    hoping that the one for whom it was intended gets it !!!

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  24. प्यार केवल सुफियाना ही हो सकता है , यही सत्य है !
    खूबसूरत अभिव्यक्ति !

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  25. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  26. .
    .
    .
    पत्र तो बहुत्तै झक्कास है पर क्या कहें, तारीफ करते हुऐ भी एक झिझक सी होती है... वो क्या है कि कहीं आप अभी तक वही भ्रम न पाले बैठे हों... ;)



    ...

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  27. ऐसे अवसरों पर दिशाहीन और नेत्रहीन मित्रों से चौकन्ना रहना चाहिए:)

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