मंगलवार, 24 जनवरी 2012

पर्चा दाखिल कर ना सके ब्लागर अफलातून


दैनिक  जागरण वाराणसी की यह रिपोर्ट पढ़िए 


पर्चा दाखिल न कर सके अफलातून

वाराणसी : घर-परिवार, पड़ोसी और रिश्तेदारों से आशीर्वाद व मंदिर में भगवान को नमन कर कैंट विस क्षेत्र से पर्चा दाखिल करने कलेक्ट्रेट पहुंचे अफलातून के सारे ख्वाब धरे रह गए। उनके साथ आए प्रस्तावकों के नाम वोटर लिस्ट में नहीं मिले, इसके चलते आरओ ने उन्हें लौटा दिया।
सामाजिक संगठन साझा संस्कृति मंच व समाजवादी जन परिषद से जुड़े अफलातून 12 प्रस्तावकों के साथ कैंट विस सीट से नामांकन दाखिल करने एडीएम आपूर्ति के कोर्ट स्थित नामांकन कक्ष पहुंचे। चार प्रस्तावकों द्वारा बताए गए भाग संख्या व क्रम संख्या का मौजूद वोटर लिस्ट से मिलान किया गया तो नाम नहीं मिला। वोटर लिस्ट से नाम गायब होने को लेकर नामांकन कक्ष में मौजूद अधिकारियों व अफलातून के बीच काफी देर तक बहस हुई। अफलातून का कहना था कि वोटर लिस्ट आरओ कक्ष में छिपाकर रखी गई है। प्रस्तावकों के पास आयोग द्वारा जारी परिचय पत्र मौजूद है। नए परिसीमन के चलते कई क्षेत्र के वोटरों का भाग व क्रम संख्या बदल गया है। प्रस्तावक के पास यदि वोटर कार्ड मौजूद है तो यह नामांकन से जुड़े अधिकारी व कर्मचारियों का दायित्व है कि वे वोटर लिस्ट से नाम खोजकर निकालें या तो प्रस्तावकों को फर्जी कार्ड रखने के आरोप में जेल भिजवाएं।
कमेंट्री: अफलातून  भाई दस प्रस्तावकों का पहले से पूछ पछोर तो कर लिया होता ..जान पहचान तो कर ली होती ....फिर आर ओ कक्ष में पहुंचते....अपने इस ब्लॉगर भाई से भी सलाह मशवरा कर लिया होता ....अब आप  निर्वाचन आयोग की गलतियाँ गिना रहे हैं ....पहचान पत्र होना इस बात का शर्तिया सबूत नहीं हो सकता कि मतदाता का नाम निर्वाचक नामावली में हो ही ,हो सकता है वह मतदाता परिसीमन के बाद दूसरी विधान सभा में हो गए हों... इस हंगामें की खबर मुझ तक पहुँची तो देर हो चुकी थी-एक हंसोड़ इस वाकये को  बढ़ा चढ़ा कर प्रस्तुत कर रहा था ..जब मैंने पूछा क्या हो गया तो अपनी ख़ास स्टाईल में बोल पड़ा -पर्चा दाखिल कर ना सके ब्लागर अफलातून,पहुंचे न थे पहनकर टाई औ पतलून .......लोग बाग़ हंस पड़े ..मगर मेरा अनुरोध है अफलातून भाई अभी भी परचा दाखिले का वक्त है ..पूरे तैयारी  से फिर आयें ....और मतदाता सूची में प्रस्तावकों के नाम से पहले संतुष्ट हो लें .....

17 टिप्‍पणियां:

  1. अरविन्द जी ,
    मेरा ख्याल है कि हंसोड़ को निर्वाचक नामावली की विसंगति अथवा नये परिसीमन से उदभूत परिस्थिति पर हंसना नहीं चाहिये !
    यह एक गंभीर विषय है जिसमें कार्ड धारक वोटर के नये परिसीमन क्षेत्र की जानकारी चुनाव लड़ने के इच्छुक अफलातून जी को नहीं है , यह निश्चित ही उनकी चूक है , किन्तु जिला निर्वाचन कार्यालय को भी यह संज्ञान होना चाहिये कि पुराने कार्ड धारक मतदाता नये परिसीमन में अब कहाँ होंगे ! जिला निर्वाचन कार्यालय परिसीमन से हुए परिवर्तन का आधिकारिक पक्ष है उसे क्यों पता नहीं है कि पुरानी भाग संख्या और क्रम संख्यांक पुरानी निर्वाचक नामावली से विलोपित कर कहां भेजे गयें हैं !

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  2. बहुत संदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट " डॉ.ध्रमवीर भारती" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  3. अफलातून काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पुराने जुझारू छात्र नेता रहे हैं। यह खबर चौंकाने वाली है!

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  4. अफलातून समझे थे कि वे तो 'अफलातून' हैं,चुनाव-आयोग उनका क्या करेगा ?

    कोई बात नहीं ,परचा न भर पाने से भी उनका कुछ उद्देश्य तो पूरा हो ही गया है.अभी चाहें तो कूद सकते हैं इस कीचड में !

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  5. @अली सा,
    इस बार/पहली बार निर्वाचन आयोग इसीलिये प्रत्येक मतदाता को एक मतदाता पर्ची बी एल ओ द्वारा वितरित करा रहा है जिससे उन्हें यह पता चलेगा कि उनका मत किस विधान सभा के किस बूथ पर है ....मगर अगर कोई परचा भरना चाहता है तो उसकी भी यह जिम्मेदारी बनती है कि खुद और अपने प्रस्तावकों के नामों और उनकी प्रविष्टियों के बारे में संतुष्ट हो ले अन्यथा हंसोड़ो को चांदी रहेगी!

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  6. ज्यादा आश्चर्य की बात नहीं है , पूर्व राष्ट्रपति , प्रस्तावित प्रधानमंत्री आदि भी परिसीमन के बाद अपना नाम वोटर लिस्ट में ढूंढते रह गये थे ...कुछ जागरूकता नागरिकों की भी बनती है!

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  7. यह तो सरासर बेइंसाफी ही है.

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  8. अफलातून भाई दस प्रस्तावकों का पहले से पूछ पछोर तो कर लिया होता ..
    -----------
    पूंछे पछोरे होते तो अफलातून कैसे होते?

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  9. समाजवादी - बस समाजवादी ही रह गए.. अफलातून जी को पहले होमवर्क करना चाहिए था.

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  10. Har or aise hee log aur aisahee keechad...kya kiya jaa sakta hai?

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  11. एक तो बनारस उसपर से आपकी भी उपस्थिति ! ऐसे में आपसे तकनिकी सलाह तो ली ही जानी चाहिए थी...

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  12. आश्चर्य है, मगर अफलातून अच्छे चिन्तक ब्लोगर हैं ....
    शुभकामनायें उनको !

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  13. हमे खेद है अफ़लातून भाई का नामांकन रद्द हुआ पर परिसीमन के बाद यह ओ जान ही लेना चाहिए था कि किनसे हस्ताक्षर लें। इसीलिए तो कई अलग अलग फ़ार्म भर कर रख लिए जाते हैं ताकि एक रद्द भो हो जाय तो नामांक्न सुनिश्चित होता है।

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